
Thursday, January 31, 2019
पुराणे टाइम रै गद्दी रै जीवन री अक झलक
बड़ा बुरा भुन्दा थु इंदा गद्दी रा जीणा।
हंडी हंडी जांदर अतै गधेरण इणां गाणा।
दबु खुबू सो छीके पर चुआणे।
गोरु पैहरु सो अगु पिचू चलाणै।
अज डेरा एठी दोतै करखी हुद्रा लाणा।
छिडू लकडू कठेरी करी खाणा बणाणा।
भेगियै उठी छीका लाई हगूं चली पैणा।
हॅंड्दै हॅंड्दै जली गेई जंगा खिज़ि गाणा।
जांदर गीची रै ता मणु रै घरै रेहणा।
हर रोज पैंदी थी तियांरि गल्ला सेहणा।
भैगा उठी करी खोड़ दंदासा गाणा लाणा।
सेइतै माणु रै घरै गीची धान भी कुटाणा।
गधेरण इणा ता जली गै कम ना मुकन्दे।
भैहड़ा जो हेरी हेरी मणु रै हा हुकन्दे।
जांदर गधेरण इँदै गंदै जान मुकी गंदी।
तां ही ता इँदै दबु खुब्बू री पढ़ाई न भुन्दी।
इणा जीणा थू दोस्तों इँदै गद्दी रा जीणा।
जांदर तता आते गधेरण ठंडा पानी पीणा।
अज याद इँदै सो दिन ता रौंगटे खड़ी गंदै।
सौ सलाम इँदै बज़ुर्गा जो जेडै ऐ जीण थिए जिंदै।
कोई गल्ती भुआ ता माफ़ करी दीणा।
न ता लेखक जयकरण फिरी कियाँ जीणा।
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
-
ग़लती कन्ने त्रीया बंद रेही दा हा, पाठक इन्ने चाS कन्ने पढ़ा करदे न, जे पुच्छी बैठे, त्रीया बंद कुत्थें ऐ? 3) तेजां भाखड़िया बचारा। कदे...
-
ङार कलावै भरने पौंदे। ठार सिआले ठरने पौंदे। अपना ढंडा आपूं फूकी , जालो खाले जरने पौंदे। जीन दुहारा मूंढै चुक्की सौ सौ मरने करने पौंदे। म...
-
दीनू भाई पन्त 'शैहर पैह्लो-पैह्ल गे' दूई किश्त-- 2) सोचां कियां जान छुड़कै, बड्डा भाइया बक्ख गुढकै। मऊ पिट्टै घड़ियें घड़िये...
No comments:
Post a Comment